विवेकानंद केंद्र समर्पण एवं सेवा प्रकल्प बीना
मातृ वंदना कार्यक्रम
"मातृशक्ति के बिना धरती पर उन्नति व् श्रजन संभव नहीं" यह बात सुश्री रचना जानी, प्रांत संगठक, मध्य प्रान्त ने विवेकानंद केंद्र समर्पण एवं सेवा प्रकल्प बीना द्वारा आयोजित मातृ वंदना कार्यक्रम के अवसर पर कही।
कार्यक्रम में संतान द्वारा अपनी माताओं की चरण वंदना की गई सभी बच्चों ने अपनी माताओं के जल से चरण पखारे, कुमकुम - तिलक लगाकर मन्त्रोचारन के सहित पूजन किया तथा माताओं ने अपने बच्चों को आशीष प्रदान किय।
मुख्य अतिथि के रूप में आदरणीय श्रीमती सती देवी वाधवानी, कुशल एवं वरिष्ठ ग्रहणी, श्रीमती रत्ना कुशवाहा, पटवारी, श्रीमती मंजू रैकवार, रेलवे टिकिट परीक्षक (TC) मंचासीन रही। मंचस्त अतिथियों का सम्मान तुलसी पौध तथा साहित्य देकर किया गय। उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष सभी माताओं से साँझा किये। इस अवसर पर उपस्थित युवा उद्यमी कु दीप्ति वाधवानी का भी सम्मान विवेकानंद स्मृति चिन्ह, साहित्य तथा श्रीफल देकर किया गया।
आदरणीय रचना दीदी ने कार्यक्रम का महत्व बताते हुए कहा कि मातृशक्ति की प्रेरणा, देवी अहिल्या बाई होलकर है जिन्होंने पूरा राज्य संभाला और प्रजा का संतान की तरह पालन किया और विदेशी आक्रांताओं द्वारा नष्ट किये गए कई मंदिरों का पुनः निर्माण कराय।
हमारी प्रेरणा माँ शारदा देवी है जिन्होंने ठाकुर राम कृष्ण परमहंस का साथ हर परिस्थिति में दिया जिसके परिणाम स्वरुप नरेंद्र नाथ स्वामी विवेकानंद बन पाए
हमारी प्रेरणा मां यशोदा है जिन्होंने श्री कृष्णा का लालन-पालन किया जिसका प्रसाद भगवत गीता के रूप में हमारे पास है।
हमारी आदर्श राजमाता जीजाबाई है जिनकी शिक्षा और आदर्शों ने श्री शिवाजी महाराज को बनाया और हिंदवी स्वराज की स्थापना की।
जिस प्रकार शक्ति के बिना शिव का अस्तित्व नहीं उसी प्रकार माता के बिना इस सृष्टि का अस्तित्व नहीं इसीलिए माताओं का दायित्व है कि आगे की पीढ़ी में विवेकानंद, शिवाजी, लक्ष्मीबाई, राणा प्रताप जन्म लें और भारत माता पुनः वैभवशाली होकर जगतगुरु के रूप में स्थापित ह। इसके लिए हमें हमारे बच्चों को संस्कार वान बनाना होगा।
कार्यक्रम में बीना नगर, ग्राम पार , पटकुई, बेरखेड़ी टाडा, सेमरा गणपत, बमोरी खंडेरा, कुरुवा धुरुवा, हिरनछिपा आदि आसपास के क्षेत्र से माताएं तथा बच्चे उपस्थित रहे ।
इस अवसर पर माताओं द्वारा देवी भक्ति भजन गाकर आदि शक्ति की उपासना की।