विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय,
बीना, जिला- सागर मप्र
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य जागरूकता शिविर
ग्राम-पार
दिनांक 22 अक्टूबर 2019
यदि नारी स्वस्थ्य और सजग तो परिवार भी रहेगा स्वस्थ्य
विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय द्वारा ग्राम पार में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य जागरूकता शिविर आयोजित
बीना। सामान्यतौर पर महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग नहीं रहती हैं, जिसके कारण उनकी संतान भी स्वस्थ्य नहीं रह पाती है। यदि हर महिला अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो तो उसका पूरा परिवार भी पूरी तरह से स्वस्थ्य रहता है। सही तरीके से साबुन से हाथ धोना, पौष्टिक आहार लेना और गर्भावस्था में टीकाकरण और उचित पोषण एवं आहार से माता स्वस्थ शिशु को जन्म देती है। जन्म के बाद शिशु को मां दूध पिलाना और सही समय पर सभी टीके लगवाने से बच्चा भी स्वस्थ्य रहता है। जब तक शिशु छह माह का ना हो जाए तब तक केवल मां का दूध ही उसे सही तरीके से पिलाना चाहिए। यदि ऐसा करेंगे तो बच्चों का सही विकास होगा। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए खान-पान और उचित परवरिश के साथ ही परिवार नियोजन का पालन करना और दो बच्चों में कम से कम तीन से पांच वर्ष का अंतर रखना बच्चों के मानसिक विकास में अहम भूमिका निभाता है।
यह बात विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय द्वारा ग्राम पार के आंगनबाडी केन्द्र में दिनांक 22 अक्टूबर 2019, मंगलवार को आयोजित मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य जागरूकता अभियान के दौरान आयोजित शिविर में चिकित्सालय की वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डाॅ. निधि सोनी ने महिलाओं के बीच कही। शिविर में आगे डाॅ. निधि सोनी ने बताया कि तहत चयनित गांवों में आयोजित किए जाते हैं, इसी क्रम में आपके गांव में यह शिविर आयोजित किया गया है। शिविर में उन्होने महिलाओं को बताया कि हर महिला को पोषण के साथ ही स्वच्छता का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, सही ढंग से हाथ धोने की आदत कई संक्रामक रोगों से बचाती है। स्वयं से सही तरीके से हाथ धोएंे और बच्चों को भी सिखाएं। वहीं किशोरी बालिकाओं को अपने पोषण का पूरा ध्यान रखना चाहिए। अपने पोषण हेतु गुड, चना और मंूगफली का भरपूर उपयोग करना चाहिए। वहीं प्रतिदिन एक निबू अवश्य लेना चाहिए। वहीं गर्भवती महिलाओं को भी नीबू खाना चाहिए। पुरानी मान्यताओं के अनुसार गर्भवती को नीबू नहीं देना चाहिए किन्तु चिकित्सा विज्ञान के अनुसार गर्भवती महिलाएं भी नीबू का रस भोजन में उपयोग में लाएं ताकि उन्हे भरपूर मात्रा में विटामिन सी मिल सके।
डाॅ. सोनी ने आगे बताया कि गांवों में विवाह कम उम्र में हो जाते हैं, जो कि आगे चलकर नवदम्पति के लिए अनेक समस्याओं का कारण बनते हैं, अतः लडकी जब 18 और लडका 21 वर्ष का हो जाए तभी विवाह करना चाहिए और बेटियों को ज्यादा से ज्यादा शिक्षा हेतु प्रेरित करना चाहिए।
शिविर में विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, मध्य प्रांत की प्रांत संगठक सुश्री रचना जानी दीदी ने अपने उदबोधन के दौरान कहा कि माताओं और बहनों को बेहतर स्वास्थ्य के साथ ही संस्कार और सेवाभाव को महत्व देना चाहिए। परिस्थितियों का रोना नहीं रोना चाहिए। अच्छे भाव के साथ भोजन बनाकर परिवार को खिलाना चाहिए, क्योंकि आप जिस मन से भोजन बनाते है, वैसा ही भाव भोजन ग्रहण करने वालों में आता है। अतः बेहतर स्वास्थ्य के साथ अच्छी शिक्षा और संस्कार के साथ समाज और राष्ट्र के प्रति सदैव अच्छे विचार रखते हुए हमें अपना जीवन खुशहाली के साथ व्यतीत करना चाहिए। शिविर में डाॅ. निधि सोनी ने पोस्टर के माध्यम से विषय को समझाया तथा अंत में महिलाओं के प्रश्नो के जवाब देकर विषय को और भी सरलता से बताया।
शिविर में विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय के जनसम्पर्क अधिकारी गिरीश कुमार पाल, वार्ड स्टाफ सदस्य श्रीमती नीतू राय, पार गांव की आंगनबाडी कार्यकर्ता श्रीमती प्रियंका अहिरवार, सहायिका अंगूरी राय सहित गांव की 24 महिलाएं उपस्थित रहीं।
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बीना, जिला- सागर, मप्र